नहीं है आशिक़ी मेरी किताबी नहीं है ये चाहत मेरी बेवजह की
सिफ़ारिशें कर रही है मेरी, ये हवा, ये बारिश, ये शोख़ियाँ फ़िज़ा की। सिफ़ारिशें कर रही है मेरी, ये हवा, ये बारिश, ये शोख़ियाँ फ़िज़ा की।
समझाना है, यक़ीन दिलाना है उसको, ज़रूरत है इसलिए मुझे हर दुआ की। नहीं है ये चाहत मेरी बेवजह की, नहीं है आशिक़ी मेरी किताबी।
है शायरी मेरी वो, जुस्तजू है मेरी, मेरे साँसों की बेचैनी, वो आरज़ू है मेरी। है शायरी मेरी वो, जुस्तजू है मेरी, मेरे साँसों की बेचैनी, वो आरज़ू है मेरी। वो लगती है मुझे, जीने की हर वजह सी, नहीं है ये चाहत मेरी बेवजह की, नहीं है आशिक़ी मेरी किताबी।
सजदे करूँ, वो बन जाए गर मेरा ख़ुदाया, साँसों में नाम होगा, धड़कनों में उसका साया, देगा मिसालें ये ज़माना... मेरी वफ़ा की। नहीं है ये चाहत मेरी बेवजह की, नहीं है आशिक़ी मेरी किताबी।
सिफ़ारिशें कर रही है मेरी, ये हवा, ये बारिश, ये शोख़ियाँ फ़िज़ा की। समझाना है, यक़ीन दिलाना है उसको, ज़रूरत है इसलिए मुझे हर दुआ की। नहीं है ये चाहत मेरी बेवजह की, नहीं है आशिक़ी मेरी किताबी।